जीतेशकान्त पाण्डेय- आप बचपन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करते रहे हैं। वह घटनाएं कौन सी थी?डॉ0 सूर्यपाल सिंह- पहली घटना माँ के देहान्त की है। 1943 में जब उनका देहान्त हुआ तब मैं पाँच वर्ष का था। मेरी माँ बहुत शक्तिशाली थी। उनका शरीर गठा और लंबा था। वे भरी हुई बैलगाड़ी का पहिया हाथ लगाकर आगे कर देती थी। विवाह के चार-पाँच साल बाद तक कोई संतान न होने पर उन्हें प्रताड़ना भी सहनी पड़ी होगी। महावीर बापी ने उन्हें सूर्य का व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने पूरी निष्ठा से वर्ष भर सूर्य-व्रत का निर्वाह किया।