नकल से कहीं क्रान्ति नहीं हुई - 1

नकल से कहीं क्रान्ति नहीं हुई                डॉ0 सूर्यपाल सिंह साक्षात्कार                साक्षात्कर्ता : जीतेश कान्त पाण्डेय                          निवेदन गुरु जी डॉ0 सूर्यपाल सिंह से मैं दो वर्ष से सम्पर्क में हूँ। प्रारम्भ में गुरु जी के बोले शब्दों को लिखने के लिए ही आया था। धीरे-धीरे उनके साहित्य को भी पढ़ने में रुचि जगी। उनके बहुआयामी व्यक्तित्त्व को भी जानने-समझने की कोशिश की। वे साहित्यकार, शिक्षाविद् ही नहीं एक प्रबुद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हैं। उन्होंने चालीस वर्षों तक