Chapter 9 — मालदेव द्वारा राजकवि आशानंद को भेजनाबागा भारमाली को लेकर भाग गया था।और यह खबर जब जोधपुर के राजमहल पहुँची,तो जैसे पूरे दरबार में हवा ही बदल गई।राव मालदेव क्रोध से तमतमाया चेहरा लिएसीधे सिंहासन से उठ खड़ा हुआ।उसकी आवाज़ पत्थर पर फेंके गए घड़े जैसी गूँजी—“सेनापति को बुलाओ! तुरंत!”कुछ ही पलों में सेनापति दरबार के बीच खड़ा था।मालदेव ने दहाड़ते हुए कहा—“पूरी सेना तैयार करो!हम बागा को सबक सिखाएँगे।उस नीच की मज़ाल कैसे हुई भारमाली को भगाने की?”सेनापति ने सिर झुकाया,पर चेहरे पर गहरी गंभीरता थी।“महाराज,” उसने शांत लेकिन पक्के स्वर में कहा,“बागा एक डाकैत किस्म का