Chapter 4 — उम्मादे का जोधपुर आगमन और भारमाली का साथ जाना विवाह समाप्त होने के बाद, जैसलमेर किले में एक अनोखी खामोशी उतर आई थी।एक तरफ़ ढोल-नगाड़ों की हल्की प्रतिध्वनि, दूसरी तरफ़ रानी उम्मादे की विदाई की तैयारी।राजघराने में यह पल हमेशा मिलेजुले भाव लेकर आता है—खुशी भी, दुख भी।सूरज की पहली किरणों ने किले की ऊँची दीवारों को छुआ ही था कि बाहर शाही कारवाँ की हलचल शुरू हो गई।घोड़ों की टापें, ऊँटों की गरदन हिलाने की आवाज़ें, और सैनिकों की कवचों की खनक—सब कुछ यह बता रहा था कि जैसलमेर की बेटी अब मारवाड़ की रानी बनकर जा