तुमसे मिलने की छुट्टी - 4

नयी सुबह : हमारा जहाँन फिर से धड़क उठा”सुबह की हल्की सुनहरी रौशनी “हमारा जहाँन” कैफ़े की खिड़कियों पर पिघल रही थी।कॉफी मशीन की धीमी खनक, और रसोई से आती ताज़ी ब्रू की खुशबू —मानो घर और कैफ़े, दोनों एक साथ जाग रहे हों।जिया ठाकुर ने सबसे पहले कप उठाया।वो मुस्कराई…पिछली रात उसने सोचा था —प्यार, परिवार, और ये छोटा सा कैफे… यही तो उसका जहाँन है।उधर आयुष ठाकुर नींद से उठते हुए बोले,“मैडम जिया ठाकुर, कॉफी की खुशबू तो जगी है,पर आपकी बेटी अभी भी नींद के हुकूम जारी कर रही है।”दोनों हँस पड़े।कमरे में जाकर आयुष ने धीरे