यशस्विनी - 27 (समापन भाग)

कोरोना महामारी के दौर पर आधारित लघु उपन्यास: यशस्विनी: अध्याय 27: समापन भागउधर यशस्विनी अपनी चेतना धीरे-धीरे खोने लगी …..यह जागरण है या स्वप्न?..... उसे लगा जैसे उसकी सांसें उखड़ रही हैं…..उसे तेज ज्वर का अनुभव हुआ …..उसे सीने में जकड़न का एहसास हुआ। लगा जैसे पूरा कमरा घूम रहा है और कमरे से बाहर बैठे रोहित की आकृति भी अब धुंधली होने लगी। वह समझ नहीं पा रही है कि क्या हो रहा है उसने रोहित को आवाज देना चाहा लेकिन मुंह से आवाज भी नहीं निकल पाई ।यशस्विनी ने ध्यान में डूबने की कोशिश की लेकिन वह ध्यान