एक अजनबी

वो बारिश की शाम थी, जब माया ने पहली बार उसे देखा था।कनॉट प्लेस के फुटपाथ पर, ठंडी हवा में उसके बाल गीले होकर चेहरे से चिपक गए थे। उसके हाथ में सस्ते फूलों का गुलदस्ता था, जिसे वो हर शाम बेचती थी।वो यूँ ही अपने छोटे से सपने को जी रही थी — कि तभी सामने एक काले रेंज रोवर की खिड़की धीरे से नीचे गिरी।"कितने में हैं ये?"आवाज़ धीमी, पर सख़्त थी।माया ने पलटकर देखा — सामने बैठा आदमी किसी मैगज़ीन के कवर से निकला लगता था। कोयले जैसी आँखें, पर उनमें अजीब सी ठंडक थी। महँगा सूट,