कृष्णा कैफ़े -भाग 3 सच का पर्दाफाशलेखक राज फुलवरेरात गहरी हो चुकी थी.कृष्णा कैफे की पुरानी दीवारों पर धूल की परतें जम चुकी थीं.टूटी कुर्सियाँ, धुंधली रोशनी, और पुराने दिनों की यादें हर कोने में बिखरी थीं.लेकिन आज की रात, ये पुरानी यादें सच्चाई की आवाज सुनाने वाली थीं.रॉबर्ट कैफे के कोने में खडा था,कृष्ण की मूर्ति के सामने दीपक जलाते हुए.उसकी आँखों में गहरी गंभीरता और सजगता थी.हवा में ठंडी सिहरन थी, और दीपक की लौ हल्की- हल्की झिलमिला रही थी.रॉबर्ट( धीरे से, खुद से)>“ कृष्ण. मैं जानता हूँ कि सच अब सामने आ जाएगा.जस्सी की आत्मा मुझे सही राह