कृष्णा कैफ़े - भाग 2

कृष्णा कैफ़े भाग 2 अध्याय एक — समय की रेतकृष्णा कैफ़े — बंद पडे कई साल बाद।सांझ का समय है. हल्की हवा चल रही है.पुराने शहर की एक गली में, एक छोटा- सा ढाबा जैसा घर —“ कृष्णा कैफे”दीवारों पर धूल की परतें, टूटी कुर्सियाँ, और एक कोने में टंगी हुई एला और मार्क्स की तस्वीर.नीचे वही पुरानी कृष्ण मूर्ति, जिसके सामने अब रोज दीपक जलता है —और दीपक जलाने वाला है — डेविड.वह अब बूढा हो चुका है.कंधे झुके हुए, चेहरे पर झुर्रियाँ, लेकिन आँखों में वही सच्चाई, वही आस्था.डेविड दीपक जलाता है, हाथ जोडता है)डेविड( धीरे, श्रद्धा से)कृष्ण. जब