अंजान - 2

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अंजान भाग 2लेखक: राज फुलवरेअध्याय एक — वापसीरात फिर वही थी — बरसात, हवा, और वह सन्नाटा जो किसी अधूरी बात की तरह दीवारों में अटका हुआ था.अजय की आँखें कई दिनों से ठीक से बंद नहीं हुई थीं.कॉफी का कप मेज पर ठंडा पडा था, टीवी बंद था, और खिडकी से टपकती बूँदें जमीन पर गीले निशान बना रही थीं.हर बार जब बिजली चमकती, वो एक पल को उस चेहरे को देखता —वही भीगी हुई लडकी, सफेद कपडों में, काँपती हुई,और फिर — आईने पर उभरते वे शब्द —>“ थोडी देर रुकने आई थी.उसकी रूह काँप जाती थी.क्या यह