“कुछ मुलाक़ातें वक्त नहीं, किस्मत तय करती है…”“Excuse me, यहाँ कोई बैठा है क्या?”वो शख्स धीरे-धीरे मुड़ा —और रुशाली के कदम जैसे ज़मीन पर जम गए।“डॉ. कुनाल...??”रुशाली (थोड़े आश्चर्य में):“आप… डॉ. कुनाल? आप यहाँ?”वो चेहरे पर वही अपनापन, वही गंभीरता, और वही सौम्यता थी।वो मयूर सर के बहुत खास दोस्त हुआ करते थे,और रुशाली के लिए तो मानो पुराने दिनों की एक जीती-जागती याद थे।डॉ. कुनाल (मुस्कुराते हुए):“हाँ, शायद तुमने मुझे पहचान लिया… पाँच साल बाद भी।”रुशाली (थोड़ी भावुक होकर):“कैसे भूल सकती हूँ?आप और… मयूर सर हमेशा साथ ही तो दिखते थे।”डॉ. कुनाल ने हल्की मुस्कान दी,पर उस मुस्कान में