वाह साहब ! - 2

अगले दिन :सुबह करीब 10 बजे की धूप परदे की दरारों से अंदर झांक रही थी, तभी विशालका फोन बजा और उसकी नींद टूटी। उसने आधी बंद आंखों से फोन उठाया….“हां मयूर … मेरे आज के सारे प्लांस कैंसल करो, आज थोड़ा लेट आऊंगा। मनु को एयरपोर्ट छोड़ना है, वो अपने मम्मी-पापा से मिलने जा रही है। अच्छा ठीक है, ब बाय…” इतना कहकर उसने फोन रख दिया।पास ही मनु अब भी चादर में लिपटी बच्चे की तरह मुस्कुरा रही थी। विशाल उसकी तरफ झुका और बोला…. “मैडम, अब उठ जाइए… वरना फ्लाइट निकल जाएगी।”मनु ने आंखें खोलीं और शरारती लहजे में