रात के करीब नौ बजे थे। सड़कें हल्की पीली रोशनी में डूबी हुई थीं और शहर की हवा में सर्दी की नमी घुली थी। विशाल, हल्के नशे में भी अपनी गाड़ी संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था। उसकी नज़रें आगे के रास्ते पर थीं, मगर पास की सीट पर बैठी उसकी पत्नी मनु ने उसकी एकाग्रता को जैसे चुनौती दे रखी थी। हंसी और शरारत से भरी मनु , अपने पैरों से विशाल के गालों को हल्के-हल्के छेड़ रही थी। हर बार जब उसका पैर छूता, विशाल की सांसें गहरी हो जातीं और भौंहें सिकुड़ जातीं।“स्टॉप इट, मनु …