️ काव्या और ऋषि: बारिश में एक प्रेम कहानीबारिश उस दिन कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी।दिल्ली की सड़कों पर लोग भाग रहे थे—कहीं भीगने से बचने के लिए, तो कहीं बस ज़िंदगी की रफ़्तार बनाए रखने के लिए। पर काव्या के लिए वो दिन अलग था—उसकी ट्रेन छूट चुकी थी, ऑफिस के कागज़ भीग चुके थे और ऊपर से छाता भी घर पर ही छूट गया था।वो बस स्टैंड के शेड के नीचे खड़ी थी, बालों से पानी की बूँदें टपक रही थीं। आँखों में झुंझलाहट थी और होंठों पर वो हल्की मुस्कान जो हालात को हँसी में टाल देती