पहली मुलाकात, आखिरी चाहत

"पहली मुलाक़ात, आख़िरी चाहत"Story summary शहर की ठंडी शाम थी। बारिश की हल्की बूँदें सड़क पर गिर रही थीं, और कॉफी की खुशबू हवा में घुली थी। उसी कैफ़े के एक कोने में आरव अपनी नोटबुक में कुछ लिख रहा था — शायद कोई अधूरी कविता, या शायद किसी की याद में कुछ अधूरे अल्फ़ाज़।उसी वक्त दरवाज़ा खुला, और अंदर आई सिया — सफ़ेद छतरी थामे, भीगे बालों से टपकती बूँदें मानो हर किसी की नज़र को रोक ले रही थीं। उसने बस यूँ ही एक टेबल ढूंढी, पर किस्मत ने चाहा कि वो आरव के सामने वाली टेबल पर