पहाड़ों में ठंडी हवा का मौसम था। मनाली की सड़कों पर धुंध ऐसे फैली थी जैसे बादलों ने ज़मीन पर डेरा डाल दिया हो। इसी धुंध के बीच धीरे से एक बस रुकती है, और उससे उतरता है Kaushik।पच्चीस साल का, शांत, हल्के से उदास चेहरे वाला, और आंखों में वो गहराई जो किसी टूटे हुए इंसान की कहानी कह जाती है। वह मनाली घूमने नहीं आया था, वह आया था अपने भीतर की खाली जगह से भागने।होमस्टे की मालिक उसे देखकर मुस्कुराई,“आज शाम संगीत नाइट है। आ जाना। अच्छा लगेगा।”Kaushik बस हल्की मुस्कान देता है। अंदर से जानता था,