आधी रात का आईना

रोहन को पुरानी चीज़ों का बहुत शौक था। एक दिन, कबाड़ की दुकान पर उसे एक बड़ा, पुराना शीशा मिला। शीशे का फ्रेम काला पड़ चुका था, और उसमें अजीब सी, गहरी चमक थी। दुकानदार ने कहा, "बाबूजी, ये आईना अपशकुनी है, कोई नहीं लेता। इसे मत लो।" लेकिन रोहन नहीं माना। उसने सोचा कि इसे साफ करके हॉल में लगाएगा।वह शीशा घर ले आया और उसे अपने बेडरूम में रख दिया। रात हो गई, रोहन थक चुका था और जल्दी सो गया।भाग 1: आईने की दस्तकआधी रात को, रोहन की आँख खुली। कमरे में घोर अँधेरा था, लेकिन शीशे