महल के बाहर का दृश्य बदल चुका है. जहाँ पहले अंधेरा था, अब चारों तरफ सुनहरी रोशनी है. हवा में एक मीठी- सी गूंज है, और दूर कहीं पहाडों के बीच एक रहस्यमयी द्वार दिखाई देता है।कबीर, वेरिका और शहवार उस द्वार की तरफ बढते हैं. उनके हाथ में वही प्राचीन पुस्तक और नक्शा है. माही उनके पीछे खडी है — आजाद, पर कुछ कहने के लिए तैयार.माही( धीमे स्वर में) —तुमने पिंजरे को खोल दिया है. लेकिन यह केवल एक शुरुआत है. असली कहानी अभी बाकी है।कबीर —तो यह द्वार हमें उसी कहानी के अगले अध्याय तक ले जाएगा?माही