एपिसोड 51 — “दरवाज़े पर आई रूह— जिसका नाम लिखा नहीं गया था”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. वो कौन थी— जिसे कहानी ने बुला लिया?दरभंगा की हवेली की हवा अचानक बदल गई थी।नीली कलम शांत होकर टेबल पर पड़ी थी…पर दरवाज़ा अपने आप खुल रहा था।हल्की-सी खड़खड़ाहट… हल्की-सी रोशनी… और एक आकृति…जिसके कदमों के साथ हवेली की दीवारें सांस लेती-सी लगीं।आर्या ने गहरी साँस खींची।“अर्जुन… यह रूह हवेली ने खुद बुलायी है।”अर्जुन उसके पास खड़ा हुआ,उसकी आँखों की तिरछी चमक बता रही थीकि वह उस अनजानी उपस्थिति को समझने की कोशिश कर रहा है।आकृति एक कदम