एपिसोड 49 — “उस रूह का जन्म… जो वक़्त से भी पुरानी है”(सीरीज़: अधूरी किताब)---1. एक सुबह जो अँधेरी थी — क्योंकि वक़्त खुद डरा हुआ थादरभंगा की हवेली मेंसुबह का सूरज उगा ज़रूर,पर उसकी रोशनीदीवारों तक पहुँचने को तैयार नहीं थी।जैसे हवेलीकिसी ऐसी रूह के जागने से घबरा रही होजो उसके लिए भी अजनबी थी।नेहा रातभर जागी रही थी।नीली हवा,दीवारों का काँपना,और अपनी बहन द्वारा छोड़ा वो वाक्य—“मेरा जन्म तेरे जन्म से पहले लिखा गया था।”उसके भीतर तूफ़ान मचा रहा था।आरव ने उसे चुपचाप देखा।“तू सोई नहीं?”नेहा ने हल्की हँसी हँसी।“नींद तब आएगीजब मुझे ये समझ आएगाकि मेरी