62. कान्हा का त्याग और दुर्घटनावह दिन वृषाली के लिए सबसे खुशी और दर्द से भरा दिन था। अचानक माँ बनना और अब उसे माँ बनाने वाले को त्यागना। उसे कल अपना अंश त्यागना होगा। पर यही उसे सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका था।कमरे में दोंनो माँ-बेटे अकेले थे। वृषाली कहो या मीरा, इस वक्त एक माँ अपने बच्चे के साथ कुछ आखिरी पल बना रही थी। उसे हँसा रही थी, खिला रही थी, पुचकार रही थी, सँवार रही थी, उसपर अपना हर एक पल, हर एक क्षण का प्रेम लुटा रही थी। खेलते-खेलते थककर कान्हा उसकी गोद में ही