अंधेरी गुफा - 10 ( (अंतिम अध्याय)

अंधेरी गुफ़ा – भाग 10 (अंतिम अध्याय, पूरा संस्करण)रात बहुत गहरी थी।आसमान पर काले बादल ऐसे टंगे थे मानो कोई अदृश्य शक्ति उन्हें वहीं रोक कर खड़ी हो।अर्जुन गुफ़ा के अंदर उस जगह पड़ा था जहाँ ज़मीन अब भी हल्की-हल्की धड़क रही थी।उसका शरीर काँप रहा था, और मुँह से बस एक ही शब्द निकल रहा था —“ललिता…”धीरे-धीरे गुफ़ा की दीवारों से धुंध उठने लगी।वही ठंडी हवा फिर से चल पड़ी — जैसे किसी ने पुराना जादू दोबारा जगा दिया हो।दीवारों पर उकेरे गए अजीब निशान लाल रोशनी में चमकने लगे।अर्जुन ने डरते हुए एक-एक कदम आगे बढ़ाया… तभी