अंधेरी गुफ़ा – भाग 9 : “अर्जुन का रूपांतरण”गाँव की सुबह उस दिन पहले जैसी नहीं थी।हवा में एक अनजानी ठंडक थी, जैसे कोई अदृश्य परछाई हर कोने से झाँक रही हो।पक्षी नहीं चहचहा रहे थे, और मंदिर के ऊपर बैठे कौवे लगातार किसी अनहोनी की आहट दे रहे थे।लोगों में डर था — अर्जुन लौट आया था,पर सब कहते थे कि वो अब वही अर्जुन नहीं रहा।वह मंदिर के सीढ़ियों पर बैठा रहता,सामने देखता रहता, जैसे किसी चीज़ का इंतज़ार कर रहा हो।उसकी आँखें अब गहरी और धुँधली हो चुकी थीं, उनमें अजीब-सी नीली चमक थी — वही