अंधेरी गुफ़ा – भाग 6 : “सिसकियों की गूंज” (पूर्ण संस्करण)सुबह का सूरज गाँव की झोंपड़ियों के ऊपर हल्का-सा उगा था, पर आज भी हवा में ठंडक थी… और एक अजीब-सी बेचैनी।ललिता के गायब होने के बाद पूरा गाँव खामोश था।मंदिर की दीवार पर लिखा “वह लौट आई है” अब आधा मिट चुका था, पर कोई उसे मिटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।बुज़ुर्ग कहते थे —“गुफ़ा खुल चुकी है। अब जो गया, वो लौटकर नहीं आएगा।”पर हर बात पर यक़ीन करने वाला गोविन्द नहीं था।वह गाँव का चौकीदार था — जवान, हिम्मती, और जिद्दी।उसे ललिता की सच्चाई जाननी थी,