अंधेरी गुफा: रात का दरवाज़ारात का समय था।गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था — जैसे धरती खुद साँस रोककर बैठी हो।गुफा के पास बने शिवमंदिर की घंटियाँ बिना हवा के हिल रही थीं।टेंट में डॉ. सिया और निखिल जाग रहे थे।रवि की चीख अब भी उनके कानों में गूँज रही थी।सिया ने अपनी डायरी खोली —“गुफा ने फिर एक आत्मा ले ली। अब दरवाज़ा रात को खुलेगा — यही संदेश मिला है।”पहला दृश्य — नीली रोशनी का रहस्यआधी रात को, पहाड़ी की तरफ से वही नीली रोशनी दिखाई दी।सिया बोली — “यही वो समय है। अगर आज हम गए, तो