अंधेरी गुफ़ा – भाग 5 : “आवाज़ जो लौट आई” (पूर्ण संस्करण)रात गहराई हुई थी। पूरा गाँव नींद में डूबा था, पर हवा में एक अजीब-सी सरसराहट थी — जैसे कोई फुसफुसा रहा हो।ललिता की नींद टूटी। वह हड़बड़ा कर उठी और चारों ओर देखने लगी। मिट्टी की दीवारों पर दीये की लौ काँप रही थी।अचानक उसका ध्यान अपने हाथों पर गया — वही लाल माला!उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। यह माला तो उसने महीनों पहले महेश के गले में डाली थी… उस रात… जब सब कुछ खत्म हो गया था।वह घबरा कर घर से बाहर निकली। बाहर