अंधेरी गुफा - 2

भीम और सुरज पागल होकर भागे — पर गुफा का हर रास्ता अब घूम कर वहीं आ जाता था।दीवारों पर अब तीन परछाइयाँ थीं — तीनों की ही... लेकिन एक परछाई ज़िंदा हिल रही थी।पाँचवाँ अध्याय — सुबह की खामोशीअगली सुबह गाँव वालों को जंगल के पास सुरज बेहोश मिला।उसकी आँखें खुली हुई थीं, लेकिन वो बोल नहीं पा रहा था।जब उसे होश आया, वो बस इतना बोला —“दीवारें... साँस लेती हैं...”लोगों ने खोज की, पर राजू और भीम का कोई निशान नहीं मिला।सुरज कुछ हफ़्ते बाद पागल हो गया।वो रातों में गुफा की दिशा में देख कर हँसता और