लेखक की कलम से: यह कविता जीवन के उन क्षणों की बात करती है जब मन खुद से सवाल करता है। मनुष्य के भीतर छिपे उन सवालों को उजागर करती है जो हर संवेदनशील हृदय कभी न कभी महसूस करता है। क्या उम्मीद बनाए रखना ही सुख है या उसे छोड़ देना शांति देता है? शायद हर उत्तर हमारे भीतर ही छिपा है — बस हमें सुनना सीखना होता है। यह कविता सपनों, उम्मीदों और मन की असहजता के बीच उठते सवालों की गूंज है। शायद हर पाठक अपने