पहली नज़र की चुप्पी - 3

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कॉलेज की गलियों में अब एक नई पहचान बस चुकी थी —जहाँ हर सुबह की शुरुआत एक मुस्कान से होती, और हर शाम एक चुप्पी में खत्म।वो चुप्पी अब बोझ नहीं लगती थी, बल्कि सुकून देती थी।जैसे दो आत्माएँ बिना शब्दों के भी एक-दूसरे को समझने लगी हों।Prakhra अब Aarav की मौजूदगी की आदी हो चुकी थी।क्लास में उसकी कुर्सी के बगल में बैठना,हर बार pen गिराकर उसका ध्यान खींचना,और फिर दोनों का एक साथ झुककर उसे उठाना —ये छोटे-छोटे पल अब उसकी दिनचर्या बन चुके थेAarav को भी अब उसकी कमी महसूस होती थी जब वो आसपास नहीं होती।कभी