खूनी हवेली

गाँव के लोग कहते थे – “उस हवेली में मत जाना। जो गया, वह लौटा नहीं।”  गाँव के बाहर काली पहाड़ियों के बीचोंबीच खड़ी वह हवेली वर्षों से वीरान थी। टूटी हुई दीवारें, काई जमी छतें, और वटवृक्षों की घनी जड़ों ने उसे निगलने का प्रयास कर रखा था। लेकिन उसके भीतर छुपे रहस्य और खून की गंध आज भी ज़िंदा थे।  यह कहानी है *खूनी हवेली* के अंधेरे में छुपे रहस्यों की, और उन लोगों की जिन्होंने बार-बार उस हवेली से टकराने की हिम्मत की।  रात का समय था। गाँव के चार युवक – अर्जुन, समीर, रवि और मनीष – आपस में