अधुरी खिताब - 45

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एपिसोड 45 — “जब कलम ने वक़्त को लिखना शुरू किया”(सीरीज़: अधूरी किताब)---1. समय की दहलीज़ पररात के बारह बज चुके थे।दिल्ली के आसमान में हल्की धुंध थी — लेकिन उस धुंध में भी एक नीली चमक छिपी थी।नेहा शर्मा की टेबल पर वही पुरानी “रूह की कलम” रखी थी।वो अब शांत नहीं थी।उससे निकलती रोशनी अब किसी दूसरी दिशा में बह रही थी —जैसे वक़्त की रेखाओं को चीरती जा रही हो।नेहा की उँगलियाँ थरथरा रही थीं।कलम जैसे बोल रही थी —> “अब मैं बीते वक्त को नहीं, आने वाले वक्त को लिखूँगी।”नेहा ने हैरानी से पूछा,“मतलब… तू