पाँच साल का लंबा वक़्त गुजर चुका था।कभी जिन दिनों में मासूमियत, मोहब्बत और सपने भरे थे, अब उन दिनों की जगह जिम्मेदारियों और तन्हाइयों ने ले ली थी।सुबह का समय था। खिड़की से आती सुनहरी धूप सीधी रुशाली के चेहरे पर पड़ रही थी।वो गहरी नींद में थी, लेकिन नींद भी उसकी थकान को मिटा नहीं पाती थी।उसके चेहरे पर एक अजीब-सी खामोशी और खालीपन था।रुशाली अब सिर्फ़ वही लड़की नहीं रही जो कॉलेज के दिनों में मासूम और थोड़ी शरारती थी।अब वो अपने ज़िले की जिला अधिकारी (DM) थी।ज़िम्मेदारी ने उसे मजबूत बनाया था, उसका व्यक्तित्व grounded था,