अध्याय ८: घंटी की पूजाबावर्ची की चेतावनी के बाद, माया आरव को एक दूरस्थ गाँव में ले जाती है— थानबू, जो यांगून नदी के किनारे बसा है और जहाँ सदियों से एक जनजाति घंटी की पूजा करती आई है। वहाँ के लोग घंटी को "नाद देवी" कहते हैं—ध्वनि की देवी, जो आत्मा को परखती है और जीवन को दिशा देती है।गाँव में प्रवेश करते ही आरव को एक अजीब सा स्वागत मिलता है। कोई उसे फूलों की माला पहनाता है, कोई उसके माथे पर चंदन लगाता है। लेकिन सबकी आँखों में एक बात स्पष्ट थी— उम्मीद और डर ।गाँव की