अध्याय ५: श्रापित स्वररात गहराती जा रही थी। यांगून नदी की सतह शांत थी, लेकिन आरव के भीतर एक तूफ़ान चल रहा था। घंटी की छाया को देखने के बाद से उसकी सोच बदलने लगी थी—जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसके विचारों को छू रही हो।माया ने उसे चेताया, "घंटी की आत्मा सिर्फ़ ध्वनि नहीं, एक चेतना है। वह परखती है, चुनती है, और कभी-कभी... श्राप देती है।"आरव ने फिर से डायरी खोली। एक पन्ने पर उसके पिता ने लिखा था:> "मैंने घंटी को सुना। वह मुझसे बोली। लेकिन उसकी आवाज़ में सिर्फ़ ज्ञान नहीं था—वह दर्द भी था।"अगली सुबह,