अध्याय ३: घंटी की छायायांगून की सुबह हल्की धुंध से ढकी थी। नदी किनारे खड़े आरव और माया ने गोताखोरों की टीम को तैयार किया। उनके पास था एक पुराना नक्शा, एक सोनार स्कैनर, और एक उम्मीद—कि आज वे इतिहास की सबसे भारी घंटी की पहली झलक पाएंगे।नाव धीरे-धीरे नदी के उस हिस्से की ओर बढ़ी जहाँ स्थानीय लोग जाने से डरते थे। माया ने बताया, "यहाँ लोग कहते हैं, पानी की गहराई में कुछ है जो देखने वालों को बदल देता है।"आरव ने डायरी का वह पन्ना फिर से पढ़ा:> "घंटी की छाया सिर्फ़ पानी में नहीं, आत्मा