मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 46

एपिसोड 46 — “वक़्त की कलम और अधूरी रूह”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. रूह की खामोशीनीली हवाओं में अब अर्जुन की धड़कनें गूँज रही थीं।हर पन्ने पर जैसे उसकी साँसें उतर आई हों।रूहाना के सामने टेबल पर वही नई कलम रखी थी —जिसकी निब से हल्की-सी गर्मी निकल रही थी।वो गर्मी नहीं… अर्जुन की मौजूदगी थी।वो बोली,“तुम अब भी यहीं हो न, अर्जुन?”एक हल्की नीली लकीर हवा में बनी —> “हमेशा। जब तक शब्द सांस लेते रहेंगे।”रूहाना की पलकों से आँसू गिरे, और कागज़ पर गिरते हीस्याही में तब्दील हो गए।कागज़ ने खुद ब खुद लिखा