अस्वीकरण:यह कथा एक काल्पनिक रचना है।इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति, धर्म या समाज से कोई संबंध नहीं है।फ़क़ीर के रूप में छिपा वह व्यक्ति बोला —> “नहीं, हम तो केवल भगवान के भक्त हैं।”राजा ने उसे जाने दिया।परन्तु जाने से पूर्व तांत्रिक ने राजा के शरीर पर पड़े सभी घावों के निशान ध्यान से देख लिये।महल से निकलते ही वह उसी व्यक्ति के पास पहुँचा, जो कुछ दिन पूर्व उसकी सहायता माँगने आया था।वहाँ पहुँचकर उसने कहा —> “अब मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य है — राजा की आत्मा को क़ैद करना।”---सन 1922पूर्णिमा की रात्रि में तांत्रिक और