आख़िरी खत ? - एक अधूरी मोहब्बत की कहानी

रात की वो ठंडी हवा आज फिर कुछ यादें लेकर आई थी। बालकनी में खड़ी मैं आसमान को देख रही थी, जैसे वो तारे मेरे पुराने दिनों की कहानी सुना रहे हों।कभी यही आसमान हमारे वादों का गवाह था… जब तुम कहते थे — “हमेशा साथ रहूंगा।”और मैं मुस्कुराकर कहती थी — “झूठ मत बोलो।”तुम हंसते थे — “अगर ये झूठ है, तो सच से खूबसूरत है।”पर वक्त... वक्त ने वो सब बदल दिया।तुम्हारे जाने के बाद मैंने बहुत कोशिश की तुम्हें भुलाने की, मगर हर कोशिश बस एक नाकाम याद बनकर रह गई।तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी बातें, वो छोटी-छोटी नोकझोंक