छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 10शीर्षक: अंतिम साक्षात्कार(जब रूह खुद से मिलती है)1. प्रातः का मौन — स्मृतियों का किनारावाराणसी का आसमान धुंध से ढका था, पर गंगा का पानी अजीब तरह से चमक रहा था।सुरभि घाट की सीढ़ियों पर बैठी थी, हाथ में वही पुराना ताबीज लिए — तीन वृत और अधखिला कमल।अब यह चिन्ह बस प्रतीक नहीं था, बल्कि पूरी यात्रा की यादें समेटे हुए था।उसने आँखें बंद कीं और हवा में फुसफुसाई,“रत्नावली, माया, आर्या, जवेन, आर्यवीर… तुम्हारी कथा मैंने जिया, अब उसे लिखने की घड़ी है।”पीछे से अयान की आवाज़ आई, “क्या तुम वाकई इसे सबके