मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 43

एपिसोड 43 — “रूह की कलम का रहस्य”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. हवेली की सांसें फिर जागींदरभंगा की हवेली के सामने दोनों खामोश खड़े थे।वो हवेली, जो कभी रूहान और रुमी की मोहब्बत की गवाह थी —आज फिर सांसें ले रही थी।नीली हवा दीवारों से फिसलकर ज़मीन पर उतर रही थी,और दरवाज़े अपने आप धीरे-धीरे खुल रहे थे —जैसे किसी अनदेखी रूह ने उनका स्वागत किया हो।रूहाना ने धीमे से कहा,“ये वही धुन है… जो रुमी ने आख़िरी बार गुनगुनाई थी।”अर्जुन ने सिर झुकाया,“मगर अब ये हमारे लिए बज रही है।”दोनों हवेली के भीतर कदम रखे।सामने