एपिसोड 40 — “स्याही का श्राप” अधूरी किताब---1. अधूरी सुबहदरभंगा की हवेली में फिर वही सन्नाटा लौट आया था।लेकिन अब सन्नाटे में एक नई धड़कन थी —किताब की धड़कन।टेबल पर रखी The Final Chapter अपने आप खुलती-बंद हो रही थी,जैसे कोई अंदर से सांस ले रहा हो।हर बार जब वो खुलती,स्याही की एक बूंद गिरती — और ज़मीन पर कोई नया शब्द बनता।> “मृत आत्मा से जन्म ले, नई रूह का अध्याय…”गाँव के लोग अब उस हवेली की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं करते थे।कहते हैं, रात में हवेली के ऊपर नीली आग जलती है —और उसकी लौ में