चैताक्षी क्या करने वाली है विवेक उतावला सा जल्दी जल्दी मंदिर की तरफ जा रहा था , , , वो उस मंदिर के तोरण द्वार तक पहुंच चुका था , जहां वो हाथ जोड़कर आगे बढ़ता है तभी एक आवाज आती है....." रूको....तुम अंदर नहीं आ सकते...."अब आगे.........उस तोरण द्वार पर दो आधे नाग और आधे इंसान ने विवेक को रोकते हुए कहा है....." कोई भी इस तोरणद्वार से आगे नहीं जा सकता...."विवेक उसे देखते हुए कहता है...." क्यूं नहीं जा सकता...?..."दूसरी तरफ फिर एक बार रौबदार आवाज आती है......" ये कोई साधारण जगह नहीं है , नागप्रदेश है , और