धागे का वादा (स्मृतियों मे अटकी प्रेमकथा)

धागे का वादा(स्मृतियों मे अटकी प्रेमकथा)एन आर ओमप्रकाश। (1)पीपाड़ का नाम जैसे रेत के साथ गूँथकर बोला जाता—वही रेत जो हर साँस में खरखरा उठती, वही रेत जो पसीने-सी ओस में चमकती, वही रेत जिस पर बुज़ुर्गों की कहानियाँ बैठी रहती थीं। सुबह की पहली लाली जब खेतों के ऊपर फैलती, तो गाँव की हर चीज़ मानो एक पुराना संगीत दोहराने लगती। नीम की शाखाओं पर बिखरी चिड़ियों की चहचहाहट दूर दूर तक सुनाई देती। रामपॉल के समाधि गृह से बाल संतों के मुखारबिंद से रामनाम की धुन पूरे वातावरण को एक आलौकिक ऊर्जा प्रदान करती है। पीपाड़ की गलियाँ न