रुहानी ने आवेश में कहा, “तुम कहाँ जा रही हो? ऐसे कदम मत उठाओ।”रचना ने धीरे से उसकी बाँह पकड़ी और रोते हुए समझाने की कोशिश की, “रुहानी, life में ऐसे decisions लेकर सब कुछ खो दिया तो क्या मिलेगा? अपने माँ-बाप को सोचो — तुम उनकी इकलौती बेटी हो।”कई दिनों की रौशनी और कई रातों की नींद टूटने के बाद भी रुहानी के मन में वही डर और शर्म के दृश्य बार-बार लौटते थे। कॉलेज की पहली बारिश नहीं, बल्कि उन पाँच लड़कों की छीन-छाड़, बंद बाथरूम में झेलना — यही वह दृश्य था जो उसे चैन नहीं लेने