रहस्यमी किताब

शहर के पुराने हिस्से में एक छोटी-सी लाइब्रेरी थी — “कैलाश पुस्तकालय”।यहाँ धूल जमी अलमारियों में ऐसी-ऐसी किताबें थीं जिनके नाम तक अब कोई नहीं जानता था।स्कूल का छात्र अर्णव, जिसे रहस्यमयी चीज़ों का बहुत शौक था, रोज़ वहाँ नई किताबें ढूँढने आता।एक दिन वह एक कोने में रखी टूटी हुई लकड़ी की अलमारी के पास पहुँचा।वहाँ एक किताब थी — काली जिल्द, सुनहरे अक्षर, और ऊपर लिखा था —“जिसे यह किताब पढ़ेगा, वो खुद कहानी बन जाएगा।”अर्णव हँस पड़ा, “वाह, यह तो कोई डरावनी फिल्म की लाइन लगती है।”जिज्ञासा से उसने किताब खोली।पहले पन्ने पर लिखा था —“हर शब्द