वर्दी की खुशबू

अध्याय 1: मुलाक़ातशिमला की ठंडी वादियों में कोहरा धीरे-धीरे नीचे उतर रहा था। पगडंडियों पर बर्फ की सफेदी और चारों तरफ़ नीली धुंध का आलम था। छुट्टियों पर अपने गाँव लौटा लेफ्टिनेंट आर्यन सिंह राठौड़ उस नज़ारे को देखकर मुस्करा रहा था। वर्दी की सख्ती और युद्ध की चपेट से कुछ पल की राहत — बस यही उसे यहाँ खींच लाई थी।आर्यन की नजरें गाँव की मुख्य सड़क पर घूम रही थीं, तभी उसकी नज़र पड़ी एक लड़की पर। हल्की लाल शॉल में लिपटी हुई, मंदिर की सीढ़ियों पर बच्चों को मिठाई बाँट रही थी। उसका चेहरा इतना मासूम था