लेकिन की दुनिया

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लेकिन की दुनिया कहते हैं - ‘लेकिन’ से पहले कही गई सारी बातें झूठी होती हैं,और यह बात सच भी प्रतीत होती है।इसका जन्म, सच की शुरुआत और झूठ के अंत के मध्य कहीं होता है।इस सच और झूठ को मिलाने वाली कड़ी का नाम ही ‘लेकिन’ है।लोग अक्सर इसे पक्षपाती समझ बैठते हैं, जबकि सच इसके बरअक्स है।शब्दों की दुनिया में ‘लेकिन’ की ख्याति कोई बहुत अच्छी नहीं रही है।इसे झगड़ालू और अकड़ू माना जाता है।यह किसी को तीर की तरह चुभता है, तो किसी को तिनके-सा सहारा देता है।शब्दों की इस दुनिया में इसे जिद्दी और संदेही की उपाधि