घर दीवारों से नहीं होता एवं सिसकते जख्मों की यादें की नब्ज रामगोपाल भावुक डॉ. वी एन. सिंह की कृति घर दीवारों से नहीं होता एवं सिसकते जख्मों की यादें कृतिया सामने है। सिंह साहब सकारात्मक सोच के अनुभवी कवि है। आप स्व.पत्नी सुमन राजे जिनके लेखन पर अनगिनत पी. एच. डी हो चुकीं हैं। आपने सिसकते जख्मों की यादें उन्हीं को समर्पित की है। उनकी व्यथा यही है कि वे प्रतिदान में वह लोक को अमृत ही देना चाहते हैं। समकालीन साहित्यकार अपनी जमीन स्वयं तैयार करता है।आपने बुन्देलखण्ड की लोकवार्ता जैसे विषय में बुन्देलखण्ड के