मेरा नाम गुलाम दीन है। मेरी उम्र के लिहाज से यह नाम बहुत बड़ा था। क्योंकि मैं तो अभी 19 साल का एक लड़का था। मगर हालात ऐसे थे कि बचपन का सहारा लेने का वक्त भी नहीं मिला। गुरबत ने इस कदर जकड़ रखा था कि ना खेल कूद का मौका मिला ना बचपन के ख्वाब देखने की फुर्सत रही। हमारा घर कच्ची मिट्टी का बना हुआ था। जिसकी छत पर पुराने बोसीदा टाट के टुकड़े डाले गए थे। बारिश हो तो छत टपकती थी और गर्मी हो तो अंदर जैसे आग बरसने लगती थी। बूढ़ी मां ही मेरे