तेरा मेरा सफ़र - 20

छह महीने बीत चुके थे। वही होटल, वही लॉबी, वही पुरानी खिड़की — मगर कियारा अब कुछ और थी।वो अब सिर्फ़ टीम की एक जूनियर मैनेजर नहीं, बल्कि खुद पर यक़ीन रखने वाली औरत थी।अयान के जाने के बाद उसने बहुत कुछ सीखा — इंतज़ार को संभालना, खामोशियों को समझना, और अपने एहसासों को मज़बूती में बदलना।वो हर दिन अपने काम में दिल लगाती, क्योंकि अयान ने कहा था —> “अगर मैं हूँ, तो तुम्हारी मुस्कान भी होगी।”और शायद उसी मुस्कान ने उसे हर मुश्किल में संभाले रखा।एक शाम होटल के लॉबी में एक नई टीम आई। सबके बीच जब